प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?

प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को पहली बार अहसास हुआ कि प्रकृति हमें कितनी सुखद अनुभूतियों को प्रदान करने में सहायक सिद्ध होती है। लेखिका के चारों ओर स्वर्गिक आनंद अनुभूत कराने वाली वस्तुएं बिखरी पङी थीं और वो इन वस्तुओं को अपने आप में समेट लेना चाहती थीं। वह उन अलौकिक क्षणों में संसार के सारे भौतिक सुखों से पार जाना चाहती थीं और प्रकृति में एकाकार होकर अपने आप को उस प्रकृति में लीन कर देना चाहती हैं।


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